क्या स्वयं-प्रकाशन लाभदायक व्यवसाय हो सकता है? यह प्रश्न केवल भारत में ही नहीं पुछा जाता है बल्कि पश्चिमी देशों में भी उतनी ही तीव्रता से उठाया जाता है| मेरा विचार है कि स्वयं-प्रकाशन पश्चिमी देशों में ज्यादा प्रचलित है| ऐसा नहीं कि भारत में इस सम्बन्ध में कोई रुचि या चेतना नहीं है| जहाँ तक मेरी जानकारी है अमिश त्रिपाठी और सावी शर्मा ने अपना लेखन का सफ़र स्वयं-प्रकाशन से किया था| उनकी लोकप्रियता के बाद ही स्थापित प्रकाशकों ने उन्हें अनुबंधित किया था| आंकड़ों पर आधारित अगर बात करनी हो तो 2017 में Jeff Bezos ने अपने shareholders को यह अधिकारिक सूचना दी थी कि उस वर्ष उस की कम्पनी ने 1000 से ज्यादा प्रति लेखकों को एक लाख डॉलर्स के लगभग रायल्टी का भुगतान किया था | उसी वर्ष में एक अमेरिकी निकाय ने आंकड़ा जारी किया था कि अमेरिका में प्रति वर्ष 10000 नए लेखक सामने आते हैं | इन आंकड़ों की चर्चा मैंने अपनी पुस्तक, “ हिंदी में लिखी पुस्तक को स्वयं प्रकाशित करने की सुनहरी किताब: A Golden Kit for Self-Publish a Book Wri...